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सृष्टि की रचना

सृष्टि की रचना ( परम पूज्य उपाध्याय श्री विशोकसागर महाराज की लेखनी से ) ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की, तो उन्होंने सभी प्राणियों को उम्र बांटी। मनुष्य को ( 40 वर्ष), गधे को ( 20 वर्ष), कुत्ते को ( 20 वर्ष), उल्लू को ( 20 वर्ष)। मनुष्य अपनी इतनी अल्प आयु से सन्तुष्ट नहीं था। वास्तव में जो व्यक्ति भोग-विलास में अत्यधिक रुचि रखता है, उसे तो 100 वर्ष की आयु भी कम लगने लगती है। मरते-मरते भी उसके मन में इच्छा बनी ही रहती है कि मैं क्या खा लूँ, क्या पहन लूँ, कहाँ-कहाँ घूम लूँ ? मेरी सम्पत्ति, मेरा परिवार, मेरे सगे सम्बन्धी, सब कुछ मेरा....मेरा....मेरा....। वह कभी यह नहीं सोचता कि एक साँस और मिल जाए, तो मैं भगवान का नाम और अधिक जप लूँ। मनुष्य ने ब्रह्मा जी से अपनी उम्र बढ़ाने के लिए प्रार्थना की कि प्रभु! 40 वर्ष तो बहुत कम होते हैं। इतना अल्प समय तो मुझे दुनिया को समझने में ही लग जाएगा कि क्या अच्छा है, क्या बुरा ? आपकी कृपा हो जाए तो इन अन्य प्रणियों की आयु भी मुझे मिल जाए। ब्रह्मा जी ने मुस्कुरा कर ‘तथास्तु’ कह दिया। यह वरदान पाकर तो मनुष्य की बांछे खिल गई। लेकिन उस पगले को यह नहीं...