जिनवाणी थुति
जिनवाणी थुति
सिरी जिनवाणी जग कल्लाणी
जगजण मद तम मोहहरी
जणमणहारी गणहरहारी
तित्थयराणं दिव्वझुणिं जो
पढइ सुणइ मईए धारइ
णाणं सोक्खमणंतं धरिय
सासद मोक्खपदं पावइ ।।
हिन्दी अर्थः
श्री जिनवाणी अर्थात् जिनेन्द्र भगवान की वाणी जगत का कल्याण करने वाली है। जगत के प्राणियों के मद, अज्ञान अंधकार और मोह का हरण करती है। सभी जनों के लिए मनोहर है, गणधरों के द्वारा धारण की जाती है।
जन्म, जरा रूप संसार का
जम्मजराभय रोगहरी ।रोग हरण करती है। तीर्थंकरों की दिव्य ध्वनि (जिनवाणी) को जो पढ़ता है, सुनता है और मति में धारण करता है, वह अनन्त ज्ञान और अनन्त सुख को धारण करके शाश्वत मोक्ष पद को प्राप्त करता है।
सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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