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Showing posts from December, 2020

णमोकार मंत्र की महिमा

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 णमोकार मंत्र की महिमा णमोकार मंत्र मोह-राग-द्वेष का अभाव करने वाला है और सम्यक् ज्ञान कराने वाला है।  इसे नमस्कार मंत्र भी कहा जाता है क्योंकि इसमें अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु; इन पंच परमेष्ठियों को नमन किया गया है। जो जीव इन पाँचों परमेष्ठियों को पहचान कर उनके बताए मार्ग पर चलता है, उसे सच्चा सुख प्राप्त होता है। णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं, णमो उवज्ज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं।। लोक में सभी अरिहंतों को नमसकार हो,सब सिद्धों को नमस्कार हो, सब आचार्यों को नमस्कार हो, सब उपाध्यायों को नमस्कार हो और सब साधुओं को नमस्कार हों। एसो पंच णमोयारो, सव्व पावप्पणासनो। मंगलाणं च सव्वेसिं पढ़मं होहि मंगलं।। यह पंच णमोकार मंत्र सब पापों का नाश करने वाला है तथा सब मंगलों में पहला मंगल है, जिसे पढ़ने से जीवन में मंगल ही मंगल होता है। अरि-हंत अर्थात् जिन्होंने अपने काम, क्रोध, मान, माया, लोभ आदि शत्रुओं का हनन कर दिया है, उन पर विजय प्राप्त कर ली है, ऐसे अरिहंत परमेष्ठी को मैं नमस्कार करता हूँ। जो जन्म-मरण के दुःखों से मुक्त होकर सिद्ध हो गए हैं, ऐसे सिद्ध परमेष्ठी को...

जैन धर्म के 24 तीर्थंकर व उनके चिह्न

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जैन धर्म के 24 तीर्थंकर व उनके चिह्न कवि हिमांशु अग्रवाल द्वारा रचित कविता आदि प्रभु का बैल जो जोते, खेत वही लहलाता है। (1) अजितनाथ का हाथी आए, प्रभु को शीश बिठाता है। (2) संभव जी का घोड़ा जब भी,  टकटक कर के आता है। (3) अभिनन्दन जी का बंदर फिर, खूब छलांग लगाता है। (4) सुमतिनाथ का चकवा जब, प्रभु के चरणों में आता है। (5) पद्मप्रभु के कमल-पुष्प को, नयनों में पा जाता है।(6) सुपार्श्व प्रभु का सतिया जब भी, सत् का पाठ पढ़ाता है। (7) चंद्रप्रभु का अर्द्धचन्द्र जब, मस्तक पर खिल जाता है। (8) जैन धर्म की जय बोलो...... सत्यकर्म की जय बोलो....... आदिनाथ से वर्धमान तक, तीर्थंकर की जय बोलो......... पुष्पदंत के मगर को देखो, जल में वो मंडराता है। (9) शीतलनाथ के कल्पवृक्ष से, काया कल्प बनाता है। (10) श्रेयांसनाथ का गेंडा जब, दरिया  से बाहर आता है। (11) वासुपूज्य का भैंसा उसको , पल में राह दिखाता है। (12) विमलनाथ का शूकर सब के पापकर्म का नाश करे। (13) अनन्तनाथ का सेही तब तब, भाग भाग कर काम करे। (14) धर्मनाथ का वज्र दण्ड जब , दुष्टों पर चल जाता है। (15) शांतिनाथ का हिरण भी आकर , शांत...