शुभ राजा की कथा
आराधना-कथा-कोश के आधार पर शुभ राजा की कथा संसार का हित करने वाले जिनेन्द्र भगवान् को प्रसन्नता पूर्वक नमस्कार कर शुभ नाम के राजा की कथा लिखी जाती है। मिथिला नगर के राजा शुभ की रानी मनोरमा के देवरति नाम का एक पुत्र था। देवरति गुणवान और बुद्धिमान था। किसी प्रकार का दोष या व्यसन उसे छू तक न गया था। एक दिन देवगुरु नाम के अवधिज्ञानी मुनिराज अपने संघ को साथ लिये मिथिला में आये। शुभ राजा तब बहुत से भव्यजनों के साथ मुनि-पूजा के लिए गया। मुनिसंघ की सेवा-पूजा कर उसने धर्मोपदेश सुना। अन्त में उसने अपने भविष्य के सम्बन्ध का मुनिराज से प्रश्न किया - योगिराज, कृपा कर बतलाइए कि आगे मेरा जन्म कहाँ होगा ? उत्तर में मुनि ने कहा - राजन्! सुनिए, पाप कर्म के उदय से तुम्हें आगे के जन्म में तुम्हारे ही पाखाने में एक बड़े कीड़े की देह प्राप्त होगी, शहर में घुसते समय तुम्हारे मुँह में विष्ठा प्रवेश करेगा, तुम्हारा छत्रभंग होगा और आज के सातवें दिन बिजली गिरने से तुम्हारी मौत होगी। सच है, जीवों के पाप के उदय से सभी परिणाम होते हैं। मुनिराज ने ये सब बातें राजा से बड़े निडर होकर कही और यह ठीक भी है कि योगियों के ...