आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को विनयांजलि
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को विनयांजलि बोलिए प्रातः स्मरणीय संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की जय। तू है सच्चा ज्ञानी गुरुवर, सब को मोक्ष की राह दिखाए, तुम दीपक हो, हम हैं बाती, यह ज्योति कभी न बुझने पाए।। 10 अक्तूबर 1946 को भारतवर्ष की पावन धरा पर संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जैसी महान् विभूति ने जन्म लिया और अपने सम्पूर्ण जीवन के हर अध्याय को अद्भुत ज्ञान, असीम करुणा और मानवता के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। उनका सम्यक् दर्शन, ज्ञान और चारित्रमय जीवन, आत्म बोध के साथ-साथ लोक बोध के लिए भी था। 18 फरवरी 2024 को डोंगरगढ (छत्तीसगढ़) में उनका समताभाव से सल्लेखनापूर्वक समाधिमरण हो गया। आज 25 फरवरी 2024 को हिसार (हरियाणा) के श्री मल्लिनाथ दिगंबर जैन छोटा मंदिर जी में आचार्य श्री की विनयांजलि सभा आयोजित की गई। आज हम सब अपने हृदय में विराजित आचार्य श्री के चरणों में अपनी विनयांजलि के पुष्प समर्पित करने उपस्थित हुए हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी का व्यक्तित्व बहुआयामी था। वे कोई भी उपदेश केवल वाणी से देकर हमें धर्म नहीं सिखाते थे बल्कि अपने आचरण से सबको प्रत्यक्ष...