बालक बीरबल की बुद्धिमानी
बालक बीरबल की बुद्धिमानी जिस समय बालक बीरबल की आयु 15 वर्ष की हुई, माता और पिता दोनों न मालूम किस अगोचर परदेश को चले गए। उस समय गरीब बीरबल के पास केवल 50 रुपए थे। पढ़े-लिखे भी वह बहुत कम थे। खूब सोच-समझकर बीरबल ने पान की दुकान खोली और वह भी किले के पास। उस समय बादशाह अकबर आगरे के किले में निवास कर रहे थे। गोस्वामी तुलसीदास जी को कैद करने के कारण वीर बजरंगी ने बादशाह को दिल्ली के किले से सदा के लिए निकल जाने की आज्ञा दे दी थी। अकबर, जहांगीर और शाहजहां ने आगरे में ही रहकर राज्य किया था। औरंगजेब जरूर दिल्ली के किले में जाकर रहा था, तो हमेशा के लिए इस्लामी राज्य भी खत्म हो गया। बालक बीरबल अपनी पान की दुकान पर बैठा सुपारी काट रहा था और सरस्वती देवी का मंत्र ‘ॐ ऐं ओं’ का जाप कर रहा था। आजकल के विद्यार्थी लोगों को सरस्वती माता का मंत्र ही नहीं मालूम। जो विद्या का बीज मंत्र नहीं जानता और विद्या प्राप्त करना चाहता है, वह सफल नहीं हो सकता। बीरबल ने देखा कि किले से निकलकर एक मियां लपकता हुआ आ रहा है। वह मियां आकर दुकान के सामने खड़ा हो गया और बोला - ‘पंडित जी! आपके पास चूना है?’ बीरबल ने पूछा - ‘कि...