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Showing posts from March, 2023

नम्रता का पाठ

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नम्रता का पाठ जॉर्ज वॉशिंगटन मार्ग की खोज में थे। दूर, वृक्ष की छाया में एक सैनिक खड़ा हुआ उन्हें दिखाई दिया। जॉर्ज ने उससे पूछा - भाई! यह रास्ता किस ओर जाता है ? सैनिक अभिमान के विंध्याचल पर आरूढ़ होकर बोला - मेरा काम क्या रास्ता बताने का है ? पृच्छक जॉर्ज ने कहा - भाई मेरे! आप का कार्य कुछ और हो सकता है, लेकिन रास्ता बताने में कोई हर्ज़ तो नहीं है। छोड़िए, मैं और किसी से पूछ लूँगा, पर इतना बता दो कि आप किस पद पर हैं ? सैनिक काषायिक बदली से पूर्णरूपेण घिर चुका था। वह बोला - क्यों भाई ? तुम अंधे हो क्या ? मेरी वेशभूषा से क्या तुम नहीं पहचान सकते कि मैं कौन हूँ ? वार्ता वेग पकड़ चुकी थी। जार्ज ने स्थिर वाणी में ही कहा - जनाब! आप सिपाही हैं। सैनिक का स्वर आरोह को प्राप्त हुआ - नहीं! नहीं!! मेरा पद बहुत ऊँचा है। क्या आप हवलदार हैं ? - जार्ज ने पूछा। सैनिक के स्वर में उत्तरोत्तर भास्वरता की चाशनी घुलती जा रही थी। वह बोला - अरे भाई! उस से भी ऊँचा! तो भाई! आप दरोगा होंगे। नहीं! उस से भी ऊँचा। तो आप सूबेदार हैं ? सैनिक सोचने लगा कि किस झक्की से पाला पड़ गया। पूछे ही जा रहा है। वह पिण्ड छुड़ाने क...

रक्षक कौन

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रक्षक कौन कानाफूसी का आलम तेज रफ़्तार से बढ़ता जा रहा था। जो भी सुनता, आश्चर्य से उसका मुँह खुला का खुला रह जाता। स्वाभाविक ही था! राजपुरोहित का यह कौतुक उन्हें सोचने-विचारने की एक नई मंज़िल पर ला खड़ा करता था। बोधिसत्व वाराणसी के जनप्रिय नरेश ब्रह्मदत्त के राजपुरोहित थे। शास्त्रविद, रूपवान, सदाचारी और दानी पुरोहित के रूप में उनका यश-सौरभ यत्र-तत्र-सर्वत्र अपनी सुगंध बिखेर रहा था। स्वयं राजा ब्रह्मदत्त भी उनके प्रति अटूट श्रद्धा एवं अनन्य निष्ठा रखते थे। राजपुरोहित एक दिन प्रातः भ्रमण को गए हुए थे - अकेले ही। उनके मस्तिष्क में प्रश्न उभरा - ‘यदि मैं किसी भी संकट में फंस गया, तो मेरी रक्षा कौन करेगा ? ज्ञान, विद्वत्ता, शील, रूप या कोई और।’ रास्ते भर वे इसी चिंतन में रहे, लेकिन कोई उत्तर वे प्राप्त नहीं कर पाए, जो उनको संतुष्ट कर सके। तभी एकाएक उनके मन में एक विचार उभरा और हर्षातिरेक में उनके मुख पर प्रसन्नता बिख़र उठी। वे होठों ही होठों में बुदबुदा उठे - ‘इस तरकीब से तो फैसला हो ही जाएगा कि मनुष्य के इन सारे गुणों में से उसका रक्षक कौन है ? ’ दूसरे दिन रात को सभा से लौटते समय उन्होंने राजको...

सज्जनता

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सज्जनता किसी दोस्त ने एक भले आदमी को गाली दी। उसे सुनकर भले आदमी ने कहा - तुम कितने अच्छे हो! अपने स्वभाव के कारण तुमने मेरे दुर्गुणों को इतना कम करके बताया है। तुमने मुझे जितना बुरा कहा है, मैं उससे कहीं ज्यादा बुरा हूँ। गाली देने वाला यह सुनकर स्तब्ध रह गया। उस दिन से सचमुच उसका व्यवहार बदल गया। कोई बुद्धिमान व्यक्ति कभी किसी मूर्ख से विवाद नहीं करता और अपनी आलोचना सुनकर भी वह अपनी सज्जनता से उसके हृदय को अपने वश में कर लेता है। संत अनाम डूबते हुए सूर्य की ओर देखते हुए वैभव की क्षणभंगुरता के बारे में सोच रहे थे। तभी एक आदमी उनके पास पहुंचा और विनीत भाव से बोला - भगवन्! मैं पुरूदेश का धनी सेठ हूँ। जब मैं तीर्थ यात्रा के लिए चलने लगा, तो मेरे एक मित्र ने मुझसे कहा कि आप कई स्थानों की यात्रा करेंगे। कहीं से मेरे लिए शांति, सुख और प्रसन्नता मोल ले आना। मैंने अनेक स्थानों पर ढूंढा, पर यह तीनों वस्तुएं कहीं नहीं मिली। आपको शांत, सुखी और प्रसन्न देखकर ही आपके पास आया हूँ। संभव है, आपके पास ये उपलब्ध हो जाएँ। संत मुस्कुराते हुए अपनी कुटिया के भीतर गए और लौटकर एक कागज की पुड़िया उसे देते हुए ब...

कृतघ्नता

कृतघ्नता एक चोर किसी के घर में प्रविष्ट होकर चोरी करने का प्रयत्न करने लगा। उस समय घर के सब लोग जगे हुए थे। आहट पाकर वे सब चोर को पकड़ने के लिए दौड़ पड़े। प्राण रक्षा हेतु वह घर से भागा, लेकिन लोगों ने पीछा नहीं छोड़ा। जब चोर ने अपनी रक्षा का कोई उपाय नहीं देखा तो घबराकर सेठ समुद्र दत्त के प्रासाद में घुस गया। उनसे अपनी प्राण रक्षा की प्रार्थना करने लगा। सेठ समुद्र दत्त ने उसके ऊपर द्रवित होकर उसे अपने वस्त्रों में छिपा लिया। इतने में कोटपाल रक्षक सिपाहियों के साथ सेठ जी के निकट आकर चोर के संबंध में पूछने लगा। सेठ ने उसके प्रश्नों का कुछ भी उत्तर नहीं दिया। कोटपाल ने प्रासाद में ढूंढ कर देखा किंतु चोर का कहीं भी संधान नहीं मिला। वह तो सेठ के स्थूलकाय उदर के नीचे छिपा हुआ था। सेठ के घर में चोर को न पाकर कोटपाल वापस चला गया। उसके चले जाने पर सेठ ने जोर से कहा - हे बंधु! अब कोई भय नहीं है। तुम निर्भय होकर अपने घर जाओ। सेठ की बात सुनकर उस समय चोर वहाँ से बाहर चला गया, पर जब सब निश्चिंत होकर द्वार बंद करके सो गए, तब वह सेठ के घर में ही गुप्त रूप से लौटकर आ गया। उसने निर्भयता के साथ सेठ के घर मे...