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Showing posts from August, 2024

कुरल काव्य भाग - 63 (संकट में धैर्य)

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तमिल भाषा का महान ग्रंथ कुरल काव्य भाग - 63 संकट में धैर्य मूल लेखक - श्री ऐलाचार्य जी पद्यानुवाद एवं टीकाकार - विद्याभूषण पं० श्री गोविन्दराय जैन शास्त्री महरोनी जिला ललितपुर (म. प्र.) आचार्य तिरुवल्लस्वामी ने कुरल काव्य जैसे महान ग्रंथ की रचना की, जिसमें उन्होंने सभी जीवों की आत्मा का उद्धार करने के लिए, आत्मा की उन्नति के लिए कल्याणकारी, हितकारी, श्रेयस्कर उपदेश दिया है। ‘कुरल काव्य’ तमिल भाषा का काव्य ग्रंथ है। कुछ लोग कहते हैं कि इसके रचयिता श्री एलाचार्य जी हैं जिनका अपर नाम कुंदकुंद आचार्य है, लेकिन कुछ लोग इस ग्रंथ को आचार्य तिरुवल्लुवर द्वारा रचित मानते हैं। यह मानवीय आचरण की पद्धति का बोधगम्य दिग्दर्शन देने वाला, सर्वाधिक लोकोत्तर ग्रंथ है। अपने युग के श्रेष्ठतम साहित्यकार विद्वान पंडित श्री गोविंदराय शास्त्री ने इस ग्रंथ का तमिल भाषा लिपि से संस्कृत भाषा एवं हिंदी पद्य गद्य रूप में रचना कर जनमानस का महान उपकार किया है। परिच्छेद: 63 विपदि धैर्यम् हसन् भव पुरोभागी विपत्तीनां समागमे। विपदा हि जये हासः सहाय प्रबलो मतः।।1।। जब तुम पर कोई आपदा आ पड़े तो तुम हँसते हुए उसका सामना कर...

सामान्य प्रश्न

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सामान्य प्रश्न प्रश्न 1. मंदिर किसे कहते हैं? उत्तर - जो पहुँचाए मन को स्वयं के अन्दर, उसे कहते हैं मन्दिर। जहाँ पहुँचते ही मन हो जाए स्थिर, उसे कहते हैं मन्दिर। प्रश्न 2. कवलाहार कितने प्रकार का होता है? उत्तर - कवलाहार 4 प्रकार का होता है - लेह, पेय, खाद्य, स्वाद्य। प्रश्न 3. मनुष्य व तिर्यंच कौन-सा आहार करते हैं? उत्तर - मनुष्य व तिर्यंच कवलाहार करते हैं। प्रश्न 4. केवली भगवान कौन-सा आहार करते हैं? उत्तर - केवली भगवान नोकर्म आहार करते हैं। प्रश्न 5. पेड़ कौन-सा आहार करते हैं? उत्तर - पेड़ लेपाहार करते हैं। प्रश्न 6. देव कौन-सा आहार करते हैं? उत्तर - देव मनसा आहार करते हैं। प्रश्न 7. संज्ञा कितनी होती है? उत्तर - संज्ञा 4 होती है - आहार, भय, मैथुन, परिग्रह। प्रश्न 8. आहार कितने प्रकार के होते हैं? उत्तर - आहार 6 प्रकार के होते हैं - कवलाहार, नोकर्म आहार, कर्मज आहार, मनसा आहार, ओजस आहार, लेपाहार। प्रश्न 9. 2 इन्द्रिय से 5 इन्द्रिय तक के जीव क्या कहलाते हैं? उत्तर - 2 इन्द्रिय से 5 इन्द्रिय तक के जीव त्रस जीव कहलाते हैं। प्रश्न 10. पंचेन्द्रिय जीव कितने प्रकार के होते हैं? उत्तर...

कुरल काव्य भाग - 62 (पुरुषार्थ)

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तमिल भाषा का महान ग्रंथ कुरल काव्य भाग - 62 पुरुषार्थ मूल लेखक - श्री ऐलाचार्य जी पद्यानुवाद एवं टीकाकार - विद्याभूषण पं० श्री गोविन्दराय जैन शास्त्री महरोनी जिला ललितपुर (म. प्र.) आचार्य तिरुवल्लस्वामी ने कुरल काव्य जैसे महान ग्रंथ की रचना की, जिसमें उन्होंने सभी जीवों की आत्मा का उद्धार करने के लिए, आत्मा की उन्नति के लिए कल्याणकारी, हितकारी, श्रेयस्कर उपदेश दिया है। ‘कुरल काव्य’ तमिल भाषा का काव्य ग्रंथ है। कुछ लोग कहते हैं कि इसके रचयिता श्री एलाचार्य जी हैं जिनका अपर नाम कुंदकुंद आचार्य है, लेकिन कुछ लोग इस ग्रंथ को आचार्य तिरुवल्लुवर द्वारा रचित मानते हैं। यह मानवीय आचरण की पद्धति का बोधगम्य दिग्दर्शन देने वाला, सर्वाधिक लोकोत्तर ग्रंथ है। अपने युग के श्रेष्ठतम साहित्यकार विद्वान पंडित श्री गोविंदराय शास्त्री ने इस ग्रंथ का तमिल भाषा लिपि से संस्कृत भाषा एवं हिंदी पद्य गद्य रूप में रचना कर जनमानस का महान उपकार किया है। परिच्छेद: 62 पुरुषार्थः अशक्यमिति संभाष्य कर्म मा मुंच दूरतः। उद्योगो वर्तते यस्मात् कामसूः सर्वकर्मसु।।1।। यह काम अशक्य है, ऐसा कहकर किसी भी काम से पीछे न हटो, क...

ज्ञान की जागृति

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ज्ञान की जागृति ज्ञान जागृत होने पर ही कल्याण है। किसी मां का इकलौता बेटा मर गया। मां उसे बहुत चाहती थी। वह द्वार-द्वार पर फिरने लगी कि कहीं कोई औषधि मिल जाए, कोई तंत्र-मंत्र कर दे, किसी का आशीर्वाद फल जाए। राम भी लक्ष्मण के शव को कंधे पर लेकर 6 माह तक फिरे थे। मोह बड़ा बदमाश है। आंखों पर पर्दा डाल देता है, बुद्धि सही मार्ग पर नहीं रहती है। वह मां भी पुत्र के शव को लेकर घूमने लगी। वह रोती तो लोग भी उसके साथ रोने लगते। गांव के लोग मां के साथ प्रेम करते थे, क्योंकि वह गांव की काफी शीलवान महिला थी। उसका पति भी मर चुका था। अभी उसका पहला घाव ही नहीं भरा था और दूसरा घाव पैदा हो गया। इसका सहारा बेटा ही था। वह भी चल बसा। वह बेसहारा हो गई। उसे अंधेरा ही अंधेरा दिखने लगा। किसी चतुर व्यक्ति ने उससे कहा - अम्मा! हम जैसे रागियों के द्वार पर दस्तक देने से क्या होगा? हम स्वयं ही दुःखी हैं। तू ऐसा कर गांव के बाहर जंगल में एक जैन मुनि आए हैं। वह वहीं पर अपनी साधना में लीन हैं। वह बहुत बड़े तापसी हैं। काफी विशाल संघ उनके साथ है। तू उनके पास जा। शायद उनके आशीर्वाद से कुछ हो जाए। मां अपने बेटे को लेकर मुनिर...