नया वर्ष
नया वर्ष ( परम पूज्य उपाध्याय श्री विशोकसागर महाराज की लेखनी से ) मंगलाचरण मंगलं भगवान अर्हं, मंगलं भगवान जिन। मंगलं प्रथमाचार्यो, मंगलं वृषभेश्वरः।। श्री मत्परं गंभीर, स्याद्वादामोघ लांछनम्। जीयात् त्रैलोक्य नाथस्य, शासनं जिन शासनम्।। गुरुः ब्रह्मा गुरुः विष्णुः, गुरुः देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परब्रह्मः, तस्मै श्री गुरवे नमः।। सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणी। विद्यारंभं करिष्यामि, सिद्धिर्भवतु मे सदा।। गुरवः पान्तु नो नित्यं, ज्ञान दर्शन नायकाः। चारित्रार्णव-गम्भीरा, मोक्ष मार्गोपदेशकाः।। नया वर्ष आज नए वर्ष का प्रथम दिन है। कल की रात्रि एक विछोह की और एक आगमन की रात्रि थी। समय आता है तो वह जाता भी है। यह जैन धर्म का अकाट्य सिद्धांत है। जहाँ आचार्य उमा स्वामी ने तत्वार्थ सूत्र में कहा है कि किसी पदार्थ का उत्पाद होता है तो व्यय भी होता है। उसके बीच में जो रहता है, वह है ध्रुव। जैसे स्वर्ण का उदाहरण लेते हैं। अगर कोई स्वर्ण के कुंडल को पिंघला कर कड़ा बनाता है तो कड़ा उत्पाद होगा और कुंडल का व्यय होगा लेकिन उसमें स्थित सोना ध्रुव है जो उस उत्पाद में भी रहता है और व्यय होने वा...