चौबोली रानी (भाग - 24)
चौबोली रानी (भाग - 24 ) नव-वधु का पति द्रुतगति से पत्नी से पूर्व घर लौट आया। नव-वधु ने सूर्योदय के पूर्व घर में प्रवेश किया। पति गहरी नींद में सोने का अभिनय कर लेटा हुआ था। उसने कहा - स्वामी! मैं लौट आई हूँ। पति ने नयनों को मलते हुए कहा - सारी रात बीत गई, आज बड़ी गहरी नींद आई। नव-वधु ने कहा - मैं समझ नहीं पाई कि आप किस मिट्टी के बने हैं ? कोई व्यक्ति अपनी नवविवाहिता पत्नी को पर-पुरुष के पास भेजकर कैसे चैन की नींद सो सकता है ? पति ने कहा - सोता नहीं तो क्या करता ? रात्रि भर जागकर अपना स्वास्थ्य खराब करता और व्यर्थ की चिंता करता रहता। परिणाम तो मैं जानता ही था। पत्नी ने क्रोधित स्वर में कहा - क्या परिणाम जानते थे ? पति बोला यही कि तुम..............। उत्तेजित स्वर में पत्नी बोली - अपने मित्र या मेरे लिये कोई अपशब्द मत निकालना। पति ने कहा - तुम यही कहना चाहती हो न कि तुम और मेरा मित्र दोनों ने कोई अपराध नहीं किया है। पत्नी बोली - अपराध तो बहुत निम्न कोटि का शब्द है। मैं गंगा की भांति पवित्र हूँ और तुम्हारा मित्र देवता है। पति ने कहा - मैंने स्वयं तुम्हें अपने मित्र के पास भेजा था। मैं तुम...