ऋण की भरपाई

ऋण की भरपाई

एक बार एक न्यायप्रिय और दानी राजा अपने मंत्रियों के साथ घूमने निकला। उसने देखा कि एक बगीचे में एक वृद्ध माली अखरोट के पेड़ लगा रहा है। राजा ने उस बगीचे में जाकर माली से पूछा - क्या यह बगीचा तुम्हारा है? माली ने बताया - यह बगीचा उसके बाप-दादों का लगाया हुआ है। राजा ने कहा - तुम यह जो अखरोट के पेड़ लगा रहे हो, क्या तुम इनके फल खाने के लिए जीवित रहोगे?

‘अखरोट का पेड़ 20 साल बाद फल देता है, यह बात मैं बहुत अच्छी तरह जानता हूँ। मैं अब तक दूसरों के लगाए पेड़ों के बहुत से फल खा चुका हूँ, इसलिए मुझे भी दूसरों के लिए पेड़ लगाने चाहिएं। मैं अपने फल खाने की आशा से पेड़ नहीं लगा रहा। मैं तो पूर्वजों के ऋण की भरपाई कर रहा हूँ। इस प्रकार आने वाली पीढ़ी को भी यह संदेश देना चाहता हूँ कि हमारे पूर्वजों ने जो उपकार हमारे लिए किया है, उसे कभी मत भूलो और जहाँ तक हो सके, उनका ऋण चुकाने का प्रयत्न करो।’

राजा उसका यह विचार सुनकर बहुत खुश हुआ और उसे पुरस्कृत किया। उसने अपने राज्य के प्रत्येक व्यक्ति को प्रोत्साहित किया कि आप भी अपने जीवन में एक-एक वृक्ष अवश्य लगाओ, जिससे हमारे बच्चे शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त कर सकें और फल-फूल उपयोग में ला सकें।

सुविचार - एक क्रियान्वित विचार अनेक अधूरे विचारों से अच्छा है।

।। ओऽम् श्री महावीराय नमः ।।

Comments

Popular posts from this blog

बालक और राजा का धैर्य

सती नर्मदा सुंदरी की कहानी (भाग - 2)

मुनि श्री 108 विशोक सागर जी महाराज के 18 अक्टूबर, 2022 के प्रवचन का सारांश

सती कुसुम श्री (भाग - 11)

सती मृगांक लेखा (भाग - 1)

चौबोली रानी (भाग - 24)

सती मृगा सुंदरी (भाग - 1)

सती मदन मंजरी (भाग - 2)

सती गुणसुंदरी (भाग - 3)

सती मदन मंजरी (भाग - 1)