मुनि श्री 108 विशोक सागर जी महाराज के 23 अक्टूबर, 2022 के प्रवचन का सारांश

मुनि श्री 108 विशोक सागर जी महाराज के 23 अक्टूबर, 2022 के प्रवचन का सारांश

(परम पूज्य उपाध्याय श्री विशोकसागर महाराज की लेखनी से)

ध्यानतेरस बना धनतेरस

प्यारे बंधुओं! आज कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी का दिन है। यह 13 प्रकार के चरित्र की याद दिलाने वाला तथा तेरहवें गुणस्थान की महिमा दिखाने वाला पावन पुनीत दिन है। आज के ही दिन अंतिम तीर्थंकर श्री भगवान महावीर स्वामी ने योग निरोध किया था। भगवान ने मोक्ष गमन से तीन दिन पहले समवशरण का त्याग किया और वर्तमान पावापुरी के जलमंदिर में एक ऊँचे स्थान पर, जो उस समय एक टीले के रूप में था, वहाँ ध्यानस्थ होकर बैठ गए। भगवान की वाणी व विहार दोनों थम गए थे।

साधक जन भी भगवान का अनुसरण करते हुए इस दिन अलौकिक इच्छा को छोड़कर मोक्ष की इच्छा रखें। इसलिए आचार्य कुंदकुंद देव कहते हैं कि साधु जन रत्नत्रय का फल प्राप्त करें और ऐसी भावना भाएं कि मेरे दुखों का क्षय हो तथा मोक्ष की प्राप्ति हो। हे भगवान! आपके दोनों चरण मेरे हृदय में रहें तथा मेरा हृदय आपके चरणों में लीन रहे और तब तक लीन रहे, जब तक मुझे निर्वाण की प्राप्ति न हो सके।

भगवान महावीर कहते हैं कि वह धन धन नहीं है जो नष्ट हो जाए। सच्चा शाश्वत धन तो वही है जो कभी नाश को प्राप्त न हो। वही परम धन कहा जाता है। आज लौकिक संपदा होते हुए भी व्यक्ति परम धन न होने के कारण निर्धन है।

आचार्य कहते हैं कि मनुष्य का आशा का गड्ढा इतना बड़ा है कि यदि तीन लोक की संपदा भी उस गड्ढे में भर दी जाए तो भी वह आशा समाप्त नहीं होगी। इसलिए यदि आपने पाप को नष्ट कर दिया तो संपदा की कोई आवश्यकता नहीं है। लोग खुशियाँ मनाते हैं कि आज धनतेरस है, दुकान-मकान में सजावट करते हैं, नए-नए बर्तन, कपड़े, आभूषण आदि खरीद कर खुशी मनाते हैं। इसलिए आचार्य कहते हैं कि यदि आपने पाप को नष्ट कर दिया तो आप परमात्मा के समान धनतेरस को ध्यानतेरस बनाकर तीनों लोकों के नाथ बन जाओगे। इसलिए लौकिक धन को छोड़कर शाश्वत धन के लिए साधना करो। याद रहे, आज का दिन ध्यान तेरस है। अतः भगवान का, धर्म का ध्यान करो और भगवान के दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करो।

।। ओऽम् श्री महावीराय नमः ।।

विनम्र निवेदन

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धन्यवाद।

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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