मुनि श्री 108 विशोक सागर जी महाराज के 25 अक्टूबर, 2022 के प्रवचन का सारांश
मुनि श्री 108 विशोक सागर जी महाराज के 25 अक्टूबर, 2022 के प्रवचन का सारांश
(परम पूज्य उपाध्याय श्री विशोकसागर महाराज की लेखनी से)
भगवान महावीर का मोक्षकल्याणक दिवस
आज दिनांक 25 अक्टूबर, 2022 को हिसार नगर में मुनि श्री विशोक सागर जी महाराज के सान्निध्य में भगवान महावीर का मोक्षकल्याणक दिवस बहुत श्रद्धा-भक्ति व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बड़े मन्दिर जी, नागोरी गेट में साक्षात् पावापुरी जल-मन्दिर की प्रतिकृति बनाई गई, जिससे हमें उनके मोक्ष-क्षेत्र पर उनके दर्शन करने व लाडू समर्पित करने की अनुभूति हुई। सब भक्तों ने मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हुए सूर्य की पहली किरण के साथ ही भगवान के चरणों में लाडू समर्पित किया।
भगवान महावीर ने हमें मोक्ष का मार्ग दिखाया और आज से 2548 वर्ष पूर्व मोक्ष प्राप्त किया था। तभी से हर वर्ष उनके अनुयायी इसी उपलक्ष्य में कार्तिक कृष्ण अमावस्या की प्रातःकाल की प्रत्यूष बेला में भगवान का पूजन-अभिषेक करके उनके चरणों में लाडू समर्पित करते हैं और उसी सांयकाल को उनके प्रथम शिष्य गौतम गणधर को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी, इसलिए गौतम गणेश व भगवान के मोक्षलक्ष्मी स्वरूप सरस्वती (जिनवाणी) का पूजन किया जाता है। रात्रि को दीपमालिका की जाती है।
जिस प्रकार एक दीपक संसार के बाह्य अंधकार को मिटाता है, उसी प्रकार केवलज्ञान रूपी ज्योति के प्रकाश से हमारे मन के अज्ञान रूपी अंधकार का नाश हो तथा हम अपनी आत्मा की उपलब्धि करें, आत्मा के गुणों को जानें और उन्हें अपने जीवन में धारण करें। हम भी अपने जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैलाएं, तभी हमारा दीपावली मनाना सार्थक हो सकेगा।
भगवान महावीर ने केवलज्ञान रूपी ज्योति से तीनों लोकों में व्याप्त घनघोर मोहान्धकार को नष्ट कर दिया था। उन्हें मनुष्यों के द्वारा ही नहीं, सुर व असुर के द्वारा भी नमस्कार किया जाता है, ऐसे भगवान महावीर स्वामी जयवंत हों।
दीपावली से अगला दिन गोवर्धन के नाम से पूजा जाता है। ‘गो’ का अर्थ है - भगवान की गिरी अर्थात् वाणी और वर्धन का अर्थ है - वृद्धि को प्राप्त होती हुई। उनके प्रथम शिष्य गौतम गणधर ने भगवान की वाणी अर्थात् जिनवाणी का वर्धन किया जो सभी सांसारिक प्राणियों के दुःखों का हरण करने वाली है। जो वचन जिनेन्द्र भगवान के मुख से प्रस्फुटित हुए, वही जिनवाणी है।
मुनि श्री ने बताया कि दीपावली पर घरों व दुकानों की सफ़ाई-पुताई करने का अर्थ है कि अपने मन के अन्दर जो कषायों का, राग-द्वेष का कचरा भरा हुआ है, उसे भी मन से बाहर निकालो। दुर्व्यसनों व कषायों के पटाखे जलाओ, तभी सच्ची दीवाली मानी जाएगी।
हम दीवाली के दिन मोदक (लाडू) ही क्यों चढ़ाते हैं? मोदक शब्द मुद् धातु से बना है, जिसका अर्थ है - प्रसन्न होना, आनन्दित होना। मोदक मोक्ष के अनन्त सुख व आनन्द का द्योतक है। हम अपने आनन्द को प्रगट करने के लिए ही मोदक चढ़ाते हैं।
आदर्श जीवन की सफलता इसी में है कि जिन परम्पराओं से धर्म का प्रादुर्भाव होता हो, धर्म की प्रभावना होती हो, जन-जागृति आती हो, उन्हें सदा प्राथमिकता देनी चाहिए। आज वीर निर्वाण सम्वत् 2549 का प्रारम्भ हो रहा है। अतः नये वर्ष में कुछ नए संकल्प करो और अपने जीवन का उत्थान करो। हम भगवान से यही प्रार्थना करते हैं कि आप हमें ऐसी शक्ति प्रदान करें कि हम भी अपने जीवन में केवलज्ञान रूपी ज्योति को प्रगट कर सकें और मोक्ष रूपी लक्ष्मी को प्राप्त कर सकें।
।। ओऽम् श्री महावीराय नमः ।।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
🙏🙏🙏
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