सजा या पुरस्कार
सजा या पुरस्कार क्या सभी को झूठ की सजा और सत्य का पुरस्कार मिलता है? नगर के एक गर्म दूध विक्रेता के यहां ग्राहकों की कतार ही लगी रहती थी। एक दिन एक आयकर अधिकारी उसकी दुकान पर पहुंचे और उससे बड़ी जिज्ञासा से पूछा - भाई! क्या बात है कि और दूध वाले दुकान पर बैठे मक्खियां मारते नजर आते हैं जबकि प्रायः प्रतिदिन ही आपकी दुकान पर ग्राहकों की लंबी कतार लगी रहती है? तो दुकानदार ने तपाक से सगर्व उत्तर दिया - जनाब! मैं पहलवान दूध वाला हूँ। मेरी खुद की गाय-भैंसें हैं और मैं उनको काजू, बादाम, किशमिश खिलाता हूँ, जिससे हमारा दूध बहुत पौष्टिक, स्वादिष्ट एवं गाढ़ा होता है। प्रश्नकर्ता बोले - अच्छा! यह बात है तो इससे आपकी बहुत आय होती होगी। देखिए! मैं आयकर निरीक्षक हूँ। अपनी आय का विवरण आप मुझे दीजिए। आयकर निरीक्षक का नाम सुनते ही उसके मुख पर हवाइयां उड़ने लगी। अब तो उसका अहंकार पानी-पानी हो रहा था। उसने तो कभी आय-व्यय का हिसाब ही नहीं रखा था। बड़े आदर के साथ वह आयकर इंस्पेक्टर को दुकान के अंदर ले गया। बहुत उम्दा दूध तैयार कर पिलाया और 101 नगद नारायण भेंट करने पर ही उनसे छुटकारा पाया। थोड़ी देर बाद एक अन्य स...