संतों को मत सताओ

संतों को मत सताओ

कुणाल प्रदेश के भयंकर जंगल में दो मुनि तपस्या कर रहे थे। वे ध्यान और स्वाध्याय में लीन रहते थे। भीषणतम तप के कारण उन्हें विभिन्न प्रकार की ऋद्धियां एवं सिद्धियां प्राप्त हो गई। वर्षा काल आया। सर्वत्र वर्षा हुई, लेकिन उस कुणाल प्रदेश में वर्षा नहीं हुई, जहां तपस्वी संत तपस्या में लीन थे। गाय चराने वाले ग्वाले बहुत चिंतित हो रहे थे। वर्षा के अभाव में गाएँ क्या चरेंगी? हम इनका पालन-पोषण कैसे करेंगे?

कुछ शरारती ग्वाले, तपस्वी संतों के पास जाकर बोलने लगे कि इन संतों ने वर्षा को बांध रखा है। वे अनभिज्ञ ग्वाले एक दोहा जोर-जोर से बोलने लगे -

और गांव में मेंह बरसे, कुणाल में तरसे,

आ संता रा पात्र फोड़े, सौ सौ आंगल मेंह बरसे।

अन्य प्रदेशों में अच्छी वर्षा हो रही है और हम कुणाल वासी पानी के लिए तरस रहे हैं। इन संतों के पात्र फोड़ दें तो अवश्य ही सौ-सौ अंगुल वर्षा हो सकती है।

वे सभी गुस्से में लाल होकर संतों पर टूट पड़े। मुनियों पर कंकर-पत्थर भी डालने शुरू कर दिये।

विभिन्न प्रकार के निन्दनीय कष्ट देने लगे। मारपीट करने से भी वे नहीं सकुचाए। तपस्वी संतों के शरीर से शोणित की धारा प्रवाहित होने लगी। इतने हृदय विदारक कष्टों में भी दोनों ही मुनि क्षमा की सुरसरिता में बहने लगे।

आखिर मुनि छद्मस्थ अवस्था में तपस्या कर रहे थे। क्षमा की भी एक सीमा होती है। वे क्रोध से लाल पीले होने लगे और पहले तपस्वी मुनि ने अपनी तपोशक्ति दिखलाते हुए कहा - वर्षा मेघ! तू कुणाल प्रदेश में बरस।

दूसरे तपस्वी मुनि ने अपना तपोबल प्रकट करते हुए कहा - दिनानि पंचदश च!

वर्षा मेघ! तू 15 दिनों तक बरसते रहना।

पहले मुनि ने फिर घोषणा करते हुए कहा - धारासार प्रणालायाम्।

धारा प्रवाह द्रुतगति से मूसलाधार पानी बरसते रहना।

पुनः वे मुनि बोल पड़े - यथा रात्रों तथा दिवा

रात और दिन निरालंब गति से बरसते ही रहना।

संतों की वाणी अकाट्य होती है। चारों तरफ से पानी मूसलाधार बरसने लगा। कुछ ही समय के पश्चात् नदियों में बाढ़ आ गई। तालाबों के बांध टूट गए। सर्वत्र पानी ही पानी हो गया। सारे प्रदेश में हाहाकार मच गया। 15 दिनों की अल्प अवधि में ही कुणाल प्रदेश पानी में विलीन हो गया।

जो मानव संतों को सताते हैं, उनका हर दृष्टि से नुकसान ही होता है।

।। ओऽम् श्री महावीराय नमः ।।

विनम्र निवेदन

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धन्यवाद।

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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