भगवान महावीर के पूर्व भव (भाग - 7)

भगवान महावीर का जीवन परिचय

भगवान महावीर के पूर्व भव (भाग - 7)

भगवान का मोक्ष गमन

अन्त में भगवान् पावापुर नगर में पहुँचे। वहाँ के ‘मनोहर’ नाम के वन के भीतर अनेक सरोवरों के बीच में मणिमयी शिला पर विराजमान हो गये। वे दो दिन तक वहां विराजमान रहे और कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन रात्रि के अन्तिम समय स्वाति नक्षत्र में तीनों योगों का निरोध कर अघातिया कर्मों का नाश करके शरीर रहित केवल गुण रूप होकर मोक्ष पद प्राप्त कर लिया। उसी समय भगवान् लोक के अग्रभाग पर जाकर विराजमान कृतकृत्य, सिद्ध, नित्य, निरंजन भगवान् बन गये। अब वे वापस कभी भी अनन्त काल तक संसार में नहीं आयेंगे। उनके पुरुषार्थ की अन्तिम (चरम) सीमा हो चुकी है।

अनंतर इंद्रादि सब देव आये और अग्नि की शिखा पर भगवान् का शरीर रखकर संस्कार किया। स्वर्ग से लाये गए गंध, माला आदि उत्तमोत्तम पदार्थों से विधिवत् भगवान की पूजा की, अनेक स्तुतियां की और मोक्ष कल्याणक उत्सव मनाया। जिस दिन भगवान् मोक्ष गये उसी दिन गौतम स्वामी को केवलज्ञान प्रकट हो गया। उस समय सुर द्वारा जलाई हुई बहुत भारी दैदीप्यमान दीपकों की पंक्ति से पावानगर का आकाश सब ओर से जगमगा उठा। 

उस समय से लेकर भगवान् के निर्वाण कल्याणक को भक्ति से युक्त संसार के प्राणी इस भरत क्षेत्र में प्रतिवर्ष आदर पूर्वक प्रसिद्ध ‘दीप मालिका’ के द्वारा भगवान् महावीर की पूजा करने के लिए उद्यत रहने लगे अर्थात् दीपावली का उत्सव मनाने लगे।

चिन्ह          -     सिंह

पिता          -     महाराजा सिद्धार्थ

माता          -     महारानी त्रिशला

वंश            -     नाथवंश

वर्ण            -     क्षत्रिय

अवगाहना    -     7 हाथ

देहवर्ण         -     तपे हुए स्वर्ण के समान

आयु            -     72 वर्ष

वृक्ष             -     ऋजुकूला नदी के किनारे साल वृक्ष के नीचे

प्रथम आहार  -     कूल ग्राम के राजा वकुल द्वारा (खीर)

पंचकल्याणक तिथियां

गर्भ            -      आषाढ़ शुक्ल 6 कुण्डलपुर, नालंदा, बिहार

जन्म           -      चैत्र शुक्ल त्रयोदशी कुण्डलपुर, नालंदा, बिहार

दीक्षा          -      मगसिर कृष्णा 10

केवलज्ञान    -      वैशाख शुक्ल 10

मोक्ष           -      कार्तिक कृष्णा अमावस्या पद्म सरोवर, पावापुर

समवशरण

गणधर        -      श्री इन्द्रभूति आदि 11 गणधर

मुनि           -      14000

गणिनी        -      चंदना

आर्यिका       -      36000

श्रावक         -      100000

श्राविका       -      300000

यक्ष             -      मातंग देव

यक्षी            -      सिद्धायिनी देवी

श्री भगवान महावीर के मोक्ष कल्याणक एवं दीपावली की हार्दिक मंगल शुभकामनाएं एवम् नव वर्ष मंगलमय हो।

।।ओऽम् श्री महावीराय नमः।।

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