14 गुण स्थान (भाग - 11)
14 गुण स्थान (भाग - 11)
जीव
जिसमें चेतना पाई जाती है, उसे जीव कहते हैं। जीव दो प्रकार के होते हैं -
1. भव्य जीव
2. अभव्य जीव
भव्य जीव - जिस जीव में सम्यक् दर्शन प्राप्त करने की एवं मोक्ष जाने की योग्यता होती है, उसे भव्य जीव कहते हैं। भव्य जीव के दो भेद होते हैं -
1. भव्य सम्यक्दृष्टि जीव - जिस जीव ने सम्यक् दर्शन धारण कर लिया है, उसे भव्य सम्यक्दृष्टि जीव कहते हैं।
2. भव्य मिथ्यादृष्टि जीव - जिस जीव ने सम्यक् दर्शन प्राप्त नहीं किया है अर्थात् मिथ्यात्व कर्म के उदय से मिथ्यात्व को धारण किए हुए है, उसे भव्य मिथ्यादृष्टि जीव कहते हैं किन्तु यह जीव मिथ्यादृष्टि होते हुए भी भव्य होता है। इसलिए यदि उसे सच्चे देव-गुरु-शास्त्र का, जिनागम का, चैत्यालय का, जिनालय का बाह्य निमित्त से समागम मिलता है तो वह भव्य मिथ्यादृष्टि जीव सम्यक् दर्शन प्राप्त कर सकता है।
भव्य जीव के विशेष भेद -
1. दूरानुदूर भव्य
2. दूर भव्य
3. निकट भव्य
1. दूरानुदूर भव्य - जिस जीव में रत्नत्रय धारण करने की योग्यता तो हो पर बाह्य निमित्त का अभाव होने से रत्नत्रय को कभी भी धारण न कर सके, उसे दूरानुदूर भव्य जीव कहते हैं। ऐसा जीव भव्य होने पर भी बाह्य निमित्त की कमी के कारण कभी मोक्ष नहीं जा सकता।
दूरानुदूर भव्य जीव के विषय में प्रश्नोत्तर -
प्र. 1. - इसे दूरानुदूर भव्य क्यों कहते हैं?
उत्तर - दूरानुदूर भव्य जीव में रत्नत्रय धारण करने की योग्यता है, इसलिए वह भव्य है किंतु वह कभी मोक्ष नहीं जा सकता अतः वह दूरानुदूर भव्य जीव कहलाता है।
प्र. 2. - दूरानुदूर भव्य को उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर - दूरानुदूर भव्य जीव एक पति रहित सती विधवा महिला के समान है। जैसे विधवा महिला में संतान उत्पन्न करने की योग्यता होने पर भी पति-रहित बाह्य निमित्त का अभाव होने से सती होने के कारण संतान उत्पन्न नहीं हो सकती, उसी प्रकार दूरानुदूर भव्य जीव में मोक्ष जाने की योग्यता होने पर भी बाह्य निमित्त का अभाव होने पर भी वह कभी मोक्ष नहीं जा सकता।
प्र. 3. - दूरानुदूर भव्य जीव का कौन-सा गुणस्थान होता है?
उत्तर - एकमात्र पहला गुणस्थान होता है।
प्र. 4. - क्या वह मोक्ष जाएगा?
उत्तर - नहीं, दूरानुदूर भव्य जीव कभी मोक्ष नहीं जा सकता।
2. दूरभव्य जीव - जो जीव कई भवों के बाद रत्नत्रय को धारण कर मोक्ष को प्राप्त करे, उसे दूरभव्य जीव कहते हैं।
प्र. 1. - दूरभव्य जीव जल्दी मोक्ष क्यों नहीं जाता?
उत्तर - इसमें मोक्ष जाने की योग्यता होने पर भी बाह्य निमित्त का सद्भाव जल्दी न मिलने से शीघ्र मोक्ष नहीं मिल पाता।
प्र. 2. - दूरभव्य जीव को उदाहरण से समझाइए।
उत्तर - जैसे कुमारी कन्या को भविष्य में विवाह होने के बाद बाह्य निमित्त का सद्भाव मिलने पर संतान की प्राप्ति हो सकती है, उसी प्रकार दूरभव्य जीव को भविष्य में बाह्य निमित्त का सद्भाव मिलने पर वह रत्नत्रय को प्राप्त कर मोक्ष जा सकता है।
प्र. 3. - भव्य जीव का कौन-सा गुणस्थान हो सकता है?
उत्तर - भव्य जीव का पहले गुणस्थान से लेकर 14वें गुणस्थान तक हो सकता है।
प्र. 4. - दूरभव्य जीव कब मोक्ष जा सकता है?
उत्तर - दूरभव्य जीव अनंत काल में कभी भी मोक्ष जा सकता है।
3. निकट भव्य जीव - जो अत्यंत निकट भवों में रत्नत्रय को धारण कर मोक्ष जा सकता है, उसे निकट या आसन्न भव्य जीव कहते हैं।
प्र. 1. - निकट भव्य जीव जल्दी ही मोक्ष क्यों जाने वाला होता है?
उत्तर - निकट भव्य जीव में रत्नत्रय धारण करने पर मोक्ष जाने की योग्यता है और उसे बाह्य निमित्त भी शीघ्र ही मिल जाता है। अतः निकट भव्य जीव को शीघ्र मोक्ष हो जाता है।
प्र. 2. - निकट भव्य जीव को समझाने के लिए उदाहरण दीजिए।
उत्तर - निकट भव्य जीव पति सहित सधवा स्त्री के समान है। जैसे पति सहित सधवा स्त्री को शीघ्र ही संतान की प्राप्ति का लाभ हो जाता है, उसी प्रकार निकट भव्य जीव को अंतरंग व बहिरंग सभी कारण मिल जाने से शीघ्र ही रत्नत्रय को धारण कर मोक्ष प्राप्त हो जाता है।
प्र. 3. - निकट भव्य जीव का गुणस्थान कौन सा होता है?
उत्तर - पहले से 14 वें गुणस्थान में से कोई भी हो सकता है।
प्र. 4. - निकट भव्य जीव कब मोक्ष जाएगा?
उत्तर - 2 से 3 भवों में या अर्द्ध पुद्गल परावर्तन काल के अंदर कभी भी मोक्ष जा सकता है।
क्रमशः
।।ओऽम् श्री महावीराय नमः।।
भव्य जीव होते हुये भी दुरानुदूर भव्य जीव कैसे मोक्ष नही जा सकता?
ReplyDeleteजब की भव्य जीव मोक्ष गामी हे।
कृपया समाधान करे।
अपने अल्प ज्ञान के आधार पर केवल इतना ही कह सकते हैं कि मोक्ष प्राप्त होने की योग्यता
ReplyDeleteही पर्याप्त नहीं है, जब तक उसे पुरुषार्थ द्वारा कार्य रूप में परिणत न किया जाए। ऐसे जीव श्रद्धा के अभाव में पहले गुण स्थान से ऊपर ही नहीं जा पाते। यह उनकी भवितव्यता है, इसीलिए उन्हें *दूरानुदूर भव्य* की श्रेणी में रखा गया है।