तत्त्वार्थसूत्र - पंचम अध्याय (अजीव के भेद) - (सूत्र 32 - 37)
‘तत्त्वार्थसूत्र’
‘आचार्य उमास्वामी-प्रणीत’
(परम पूज्य उपाध्याय श्री श्रुतसागर जी महाराज द्वारा ‘तत्त्वार्थसूत्र’ की प्रश्नोत्तर शैली में की गई व्याख्या के आधार पर)
पंचम अध्याय (अजीव के भेद)
सूत्र 32 - 37
सूत्र 32. अर्पितानर्पितसिद्धेः।।32।।
अर्थ - मुख्यता और गौणता की अपेक्षा एक वस्तु में परस्पर विरोधी मालूम पड़ने वाले दो धर्मों की सिद्धि होती है।
प्र. 182. ‘अर्पित’ किसे कहते हैं?
उत्तर - वक्ता जिस बात को कहने की इच्छा रखता है, उसे ‘अर्पित’ कहते हैं।
प्र. 183. ‘अर्पित’ शब्द के पर्यायवाची शब्द कितने हैं और कौन-कौन से?
उत्तर - ‘अर्पित’ शब्द के पर्यायवाची शब्द तीन हैं - विवक्षित, मुख्य, अपेक्षित।
प्र. 184. ‘अनर्पित’ किसे कहते हैं?
उत्तर - वक्ता कथन करते समय जिस बात को कहना नहीं चाहता, उसे ‘अनर्पित’ कहते हैं।
प्र. 185. एक ही समय वक्ता के ‘अर्पित’ और ‘अनर्पित’ कैसे घटित होता है?
उत्तर - जैसे पदार्थ एक समय में सामान्य अपेक्षा से नित्य है और दूसरे समय में विशेष पर्याय-अपेक्षा से अनित्य है; उसी प्रकार एक ही समय वक्ता के ‘अर्पित’ और ‘अनर्पित’ घटित होता है।
प्र. 186. एक वस्तु के कितने धर्म हैं?
उत्तर - एक वस्तु के अनेक धर्म होते हैं, जैसे - नित्य-अनित्य, भेद-अभेद आदि।
सूत्र 33. स्निग्ध-रूक्षत्वाद् बन्धः।।33।।
अर्थ - स्निग्धत्व और रूक्षता से बन्ध होता है।
प्र. 187. किससे बन्ध होता है?
उत्तर - स्निग्धत्व और रूक्षत्व से बन्ध होता है। जैसे तेल का आटे से बन्ध हो सकता है।
प्र. 188. स्निग्ध किसे कहते हैं?
उत्तर - बाह्य और अभ्यन्तर कारणों से जो स्नेह अर्थात् चिकनी पर्याय की उत्पत्ति होती है, उसे स्निग्ध कहते हैं।
प्र. 189. ‘रूक्ष’ किसे कहते हैं?
उत्तर - रूखेपन के कारण होने वाली पुद्गल की पर्याय को रूक्ष कहते हैं।
प्र. 190. ‘बंध’ किसे कहते हैं?
उत्तर - चिकने और रूखे गुण वाले दो परमाणुओं के आपस में मिलने को ‘बंध’ किहते हैं।
प्र. 191. स्निग्ध और रूक्ष गुणों के कितने भेद हैं और कौन-कौन से?
उत्तर - स्निग्ध और रूक्ष गुणों के संख्यात, असंख्यात और अनन्त भेद हैं।
प्र. 192. परमाणुओं में चिकने और रूखे गुण सम रहते हैं या विषम?
उत्तर - परमाणुओं में चिकने और रूखे गुण हीनाधिक (कम और अधिक) रहते हैं।
सूत्र 34. न जघन्यगुणानाम्।।34।।
अर्थ - जघन्य गुण वाले पुद्गलों का बंध नहीं होता।
प्र. 193. किन परमाणुओं का बंध नहीं होता?
उत्तर - जघन्य (अविभागी) गुण वाले पुद्गलों का बंध नहीं होता।
प्र. 194. ‘गुण’ किसे कहते हैं?
उत्तर - स्निग्ध और रूक्षता के अविभागी अर्थात् जिसका और टुकड़ा न हो सके, ऐसे अंशों को गुण कहते हैं।
प्र. 195. जघन्य (अविभागी) गुण वाले परमाणु के साथ किसका बंध नहीं होता?
उत्तर - जघन्य (अविभागी) गुण वाले परमाणु के साथ, जघन्य (अविभागी) गुण वाले परमाणु का बंध नहीं होता।
सूत्र 35. गुणसाम्ये सदृशानाम्।।35।।
अर्थ - गुणों की समानता होने पर तुल्य जाति वालों का बंध नहीं होता।
प्र. 196. गुणों की समानता होने पर किसका बंध नहीं होता?
उत्तर - गुणों की समानता होने पर तुल्य जाति वालों का बंध नहीं होता। जैसे पानी के साथ पानी का या तेल के साथ समान जाति वाले तेल का।
प्र. 197. ‘गुण-साम्य’ का अर्थ क्या है?
उत्तर - ‘गुण-साम्य’ का अर्थ है - समान शक्त्यंश (समान शक्ति का अंश)।
प्र. 198. ‘सदृश’ का क्या अर्थ है?
उत्तर - समान जाति को सदृश कहते हैं।
प्र. 199. समान गुण वालों के साथ किस-किस का बन्ध नहीं होता?
उत्तर - समान गुण वालों के साथ समान गुण वालों का, समान जाति वालों के साथ समान जाति वालों का बन्ध नहीं होता।
सूत्र 36. द्व्यधिकादि-गुणानां तु।।36।।
अर्थ - दो अधिक शक्त्यंश वालों का तो बन्ध होता है।
प्र. 200. किन पुद्गलों का बन्ध होता है?
उत्तर - दो अधिक शक्त्यंश वालों का बन्ध होता है। जैसे एक पुद्गल में एक व दूसरे में तीन गुण हों तो उनका बध हो सकता है। एक कटोरी आटे को एक कटोरी पानी से नहीं बांधा जा सकता। एक कटोरी पानी से बांधने के लिए तीन कटोरी आटा होना आवश्यक है।
प्र. 201. द्व्यधिक का क्या अर्थ है?
उत्तर - द्व्यधिक का अर्थ है - दो अधिक।
प्र. 202. द्व्यधिक किसे कहते है?
उत्तर - जिसमें दो शक्त्यंश अधिक हों, उसे द्व्यधिक कहते हैं।
प्र. 203. परमाणुओं में बंध कितने प्रकार के होते हैं और कौन-कौन से?
उत्तर - बंध चार प्रकार के होते हैं - स्निग्ध और रूक्ष, स्निग्ध और स्निग्ध, रूक्ष और स्निग्ध तथा रूक्ष और रूक्ष।
प्र. 204. एक स्निग्ध के साथ कौन-कौन से स्निग्ध-परमाणु का बंध नहीं होता?
उत्तर - एक स्निग्ध के साथ संख्यात, असंख्यात और अनन्त परमाणुओं का बंध नहीं होता।
प्र. 205. दो स्निग्ध के साथ किस का बंध नहीं होता?
उत्तर - दो स्निग्ध के साथ चार स्निग्ध-परमाणु का बंध नहीं होता।
प्र. 206. तीन स्निग्ध-परमाणुओं के साथ किस का बंध नहीं होता?
उत्तर - तीन स्निग्ध-परमाणुओं के साथ पाँच स्निग्ध-परमाणुओं का बंध नहीं होता।
प्र. 207. एक रूक्ष का किसके साथ बंध नहीं होता?
उत्तर - एक रूक्ष का तीन, पाँच, सात रूक्ष के साथ बंध नहीं होता।
प्र. 208. दो रूक्ष का किसके साथ बंध नहीं होता?
उत्तर - दो रूक्ष का पाँच, छः, सात, आठ रूक्ष के साथ बंध नहीं होता।
प्र. 209. चार रूक्ष का किसके साथ बंध नहीं होता?
उत्तर - चार रूक्ष का आठ रूक्ष के साथ बंध नहीं होता।
प्र. 210. एक जघन्य का किसके साथ बंध नहीं होता?
उत्तर - एक जघन्य का एक जघन्य के साथ बंध नहीं होता।
सूत्र 37. बन्धेऽधिकौ पारिणामिकौ च।।37।।
अर्थ - बन्ध होते समय दो अधिक गुण वाला (एक पुद्गल दूसरे को अपने रूप) परिणमन कराने वाला होता है।
प्र. 211. क्या समान गुण वालों के साथ बंध होता है?
उत्तर - बन्ध होते समय दो अधिक गुण वाला परिणमन कराने वाला होता है। समान गुण वालों के साथ बंध नहीं होता।
प्र. 212. ‘पारिणामिक’ किसे कहते हैं?
उत्तर - जो परिणमन कराता है, वह ‘पारिणामिक’ है।
प्र. 213. यदि दो अधिक गुण वाला ‘पारिणमिक’ न हो तो क्या होगा?
उत्तर - वहाँ बंध न होकर कपड़े के धागे की तरह अलग-अलग ही रहते हैं।
क्रमशः
।।ओऽम् श्री महावीराय नमः।।
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