छठे तीर्थंकर भगवान पद्मप्रभ जी (भाग - 4)

छठे तीर्थंकर भगवान पद्मप्रभ जी (भाग - 4)

कुमार पद्मप्रभ का राज्याभिषेक

इस प्रकार बालक पद्मप्रभ सबको आनन्दित करते हुए वृद्धिगत हो रहे थे। कुमार पद्मप्रभ ने युवावस्था में प्रवेश किया। उनका रूप कामदेव से भी सुन्दर था। उनका रूप इतना मनोहर व अद्भुत था कि स्त्री-पुरुष सब उनको देख कर तृप्ति का अनुभव करते थे। उनके युवा होते ही वंश परम्परा के अनुसार उन्हें कौशाम्बी नगरी का राज्य प्राप्त हुआ।

साढ़े सात लाख वर्ष पूर्व की आयु में कुमार पद्मप्रभ का, उनकी इच्छा न होते हुए भी, राज्याभिषेक किया गया। उनको राजा के रूप में पाकर सारी प्रजा स्वयं को धन्य मान रही थी। उनके राज्य में धन व धर्म, दोनों की वृद्धि हो रही थी।

बाहर से कोई दानी आकर उन नगरवासियों से पूछता था कि उन्हें किस वस्तु की इच्छा या आवश्यकता है? तो सब लोग उत्तर देते कि हमें किसी को किसी वस्तु की इच्छा या आवश्यकता नहीं है। हम तो मात्र मोक्ष को साधने की इच्छा रखते हैं और मोक्ष कभी दान में नहीं मिल सकता। वह तो भीतर आत्मा में से ही प्रगट होता है।

क्रमशः

।।ओऽम् श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्राय नमः।।

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