चांदी की थाली
चांदी की थाली
बहुत पुरानी बात है। एक ग्राम में भोले नाम का एक सुनार और लटूरी नाम का एक खगार रहता था। दोनों की आपस में घनिष्ठ मित्रता थी, लेकिन दोनों बहुत शरारती थे। एक दिन भोले सुनार ने अपने मित्र लटूरी को अपने घर निमंत्रण पर बुलाया। उसने अपने मित्र को चांदी की थाली में भोजन कराया। उस थाली को देखकर लटूरी के मन में उसे पाने की लोलुपता चक्कर काटने लगी। उसने सोचा कि रात्रि में देखेंगे। भोजन होने के बाद भोले ने उस थाली को अपनी रसोई में छींके पर रख दिया। वह अपने मित्र लटूरी के मन को समझ गया था कि यह कुछ गड़बड़ करेगा, इसलिए उसने उस थाली में पानी रख दिया कि यदि वह थाली उठाएगा तो पानी गिरने की आवाज होगी और पता चल जाएगा।
आधी रात को लटूरी उठा, थाली में अंगुली डालकर देखा तो पानी था। उसने उसमें राख आदि डाल दी। जब पानी सूख गया तो उसने थाली उठाई और घर के पास तालाब में दबाकर वापस आकर सो गया। जब उसके मित्र की नींद खुली तो सबसे पहले उसने छींके पर देखा तो थाली गायब थी। उसने अपने मित्र को देखा तो उसके पैर भीगे हुए थे। वह सारा मामला समझ गया। वह तालाब के पास गया और थाली निकाल लाया। उसे साफ़ करके रख दिया।
सुबह सुनार ने उसी थाली में लटूरी को भोजन परोसा तो वह सोचने लगा कि शायद उसके पास बहुत सी चांदी की थालियां हैं। वह उसको देख ही रहा था कि उसके मित्र सुनार ने कहा - ‘क्या देखते हो? यह वही थाली है जो तुम रात्रि में तालाब के किनारे दबा आए थे। वह नीची नज़र करके अपने घर की ओर चला गया। हमें किसी के साथ धोखा नहीं करना चाहिए और यह ध्यान रखना चाहिए कि सच्चे मित्र बहुत मुश्किल से मिलते हैं।
सुविचार - हमें शास्त्रों में वर्णित व निर्देशित यथार्थ आचरण का पालन करना चाहिए।
।। ओऽम् श्री महावीराय नमः ।।
Comments
Post a Comment