पिता सदा साथ हैं
पिता सदा साथ हैं
एक गांव में किसान पिता-पुत्र रहते थे। बेटा छोटा था, इसलिए पिता उसे ज्यादा काम नहीं करने देते थे, पर वह उनका हाथ बंटा दिया करता था। एक दिन किसी गलतफहमी की वजह से सिपाही पिता को पकड़कर ले गए और उन्हें जेल में डाल दिया गया। बेटा यह सब देखकर सहम गया। वह पिता से मिलने जेल में गया लेकिन उसे मिलने नहीं दिया गया। बेटे को खेती के बारे में ज्यादा पता नहीं था। बीज डालना उसे आता था पर खेत जोतने के बारे में उसे कुछ भी पता नहीं था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे?
कुछ दिनों बाद एक सिपाही उसके पिता की चिट्ठी लेकर आया। पिता ने लिखा था - बेटा! सिपाही मुझे तुमसे मिलने नहीं देंगे, इसलिए तुम खेत खोदकर धन निकाल लेना और सुरक्षित स्थान पर रख देना। बेटे की समझ में कुछ नहीं आया। सिपाही ने वह पत्र पढ़ा तो दूसरे सिपाहियों को बुलवाकर पूरा खेत खोद डाला, पर उन्हें कहीं भी धन नहीं मिला।
दूसरे दिन उसे पिता का एक और खत मिला। उसमें लिखा था - बेटा! मुझे आशा है कि सिपाहियों ने खेत खोद दिया होगा। अब तुम उसमें आराम से बीज बो सकते हो। जेल के अंदर रह कर मैं तुम्हारी बस इतनी ही मदद कर सकता था।
अब बेटे को समझ में आया कि पिता ने उसे पहली चिट्ठी क्यों भेजी थी। उसने बीज बो दिए और समय पर खेत में फसल लहलहा उठी। तब तक पिता भी खुद को निर्दोष साबित कर बाहर आ चुका था। दोनों ने फसल काटी और लाभ कमाया। पिता कभी अपने बच्चे को मुसीबत में अकेला नहीं छोड़ते। वे जहां भी हों, वहां से बच्चे की पूरी मदद करते हैं।
सुविचार - अंतरंग निमित्त कारण मिलने पर असंभव भी संभव हो जाता है।
।। ओऽम् श्री महावीराय नमः ।।
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