धन्य तेरस
धन्य तेरस
(परम पूज्य उपाध्याय श्री विशोकसागर महाराज की लेखनी से)
जीवन है पानी की बूँद, कब मिट जाए रे....
होनी अनहोनी कब क्या घट जाए रे....
धर्मध्यान जो करते हैं, प्रभु को रोज़ सुमरते हैं।
इस दुःखमय भवसागर से, भव्य जीव वे तिरते हैं।
नर भव की नौका, होऽ...-2, मुक्ति तक जाए रे....
जीवन है पानी की बूँद....
योग निरोध किया प्रभु जी, धन्य हुई तेरस प्रभु जी।
धन्य बने मेरा जीवन, यही भावना है प्रभु जी।
धन तेरस मुक्ति को, होऽ...-2, निकट बताए रे....
जीवन है पानी की बूँद....
धनतेरस का दिन आया, धन-धन की चिन्ता लाया।
क्या महत्व है इस दिन का, अब तक समझ नहीं पाया।
धनतेरस सब को, होऽ...-2, शुभ ध्यान सिखाए रे....
जीवन है पानी की बूँद....
रागद्वेष को हरना है, वीतराग को वरना है।
ज्ञान ध्यान में रहना है-2
भेदज्ञान प्रकटाना है, ध्यान ज्ञान से पाना है।
ध्यान बिना ये जीवन, होऽ...-2, व्यर्थ ही जाए रे....
जीवन है पानी की बूँद....
भरहे दुस्समकाले धम्मज्झाणं हवेइ साहुस्स।
तं अप्प सहावठिदे ण हु मण्णदू सो वि अण्णाणी।।
भरत क्षेत्र में दुषमा नामक पंचम काल में मुनियों के धर्मध्यान होता है तथा वह धर्मध्यान आत्मस्वभाव में स्थित साधु को होता है। ऐसा जो नहीं मानता, वह अज्ञानी है।
अज्जव सप्पिणि भरहे धम्मज्झाधं पमाद रहिदोत्ति।
होदित्ति जिणुछिन्न ण हु मण्णदु सो दु कुद्दिट्ठि।।
आज भी अवसर्पिणी काल में इस भरत क्षेत्र में धर्मध्यान प्रमाद रहित को होता है। ऐसा जो नहीं मानता, वह कुदृष्टि मिथ्यादृष्टि है। ऐसा जिनेन्द्र देव ने कहा है।
धर्मध्यान के स्वरूप
धम्मस्स लक्खणं से अज्जवलहु गत्तमद्दवुवदेसा।
उवदेसणा य मुत्ते णिसग्गजाओ रुचीओ दे।।
आर्जव, लघुता, मार्दव, उपदेश और जिनागम में स्वाभाविक रुचि - ये धर्मध्यान के लक्षण हैं।
धर्मध्यान के बाह्य चिह्न
आगम उवदेसाणा णिसग्गदो जं जिणप्पणीयाणं।
भावाणं सद्दहणं धम्मज्झाणस्स तल्लिगं।।
आगम, उपदेश और जिनाज्ञा के अनुसार निसर्गतः जो जिनेन्द्र द्वारा कहे गए पदार्थों पर श्रद्धान् होता है, वे धर्मध्यान के लिङ्ग (चिह्न) हैं।
जिण साहू-गुण कित्तण पसंसणा विणम दाण संपण्णा।
सुदशालसंजमरदा धम्मज्झाणं मुणेयव्वा।।
जिनेन्द्र और साधु के गुणों का कीर्तन करना, प्रशंसा करना, विनय, दान-सम्पन्नता, श्रुत-शील संयम में रत होना - ये सारी बातें धर्मध्यान में होती हैं।
।। ओऽम् श्री महावीराय नमः ।।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
🙏🙏🙏
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