कुपथ से बचने के उपाय
कुपथ से बचने के उपाय
पाप करने से पहले हर प्राणी के अंदर से एक आवाज उठती है कि यह बुरा काम मत करो, इसलिए वह बुरा काम करने से झिझकता है। किंतु जिसके पूर्व संस्कार प्रबल होते हैं, उसके सामने वह आत्मा की आवाज मर जाती है। यदि वह आत्मा की पहली आवाज पर चले, तो कुमार्ग से बच सकता है, क्योंकि यदि कुत्ते को खाने के लिए रोटी डाली जाए, तो वह वहीं बैठकर खा लेता है और यदि वह चुरा कर रोटी ले कर आता है तो दूर जाकर कहीं एकांत में झाड़ी आदि में छिप कर खाता है। उसे भी ज्ञात है कि चोरी करना अच्छा काम नहीं है। अतः एक अबोध प्राणी भी अच्छे बुरे कर्म का निर्णय तो कर ही लेता है।
सुविचार - प्रिय, मधुर वाणी बोलने से जब सभी प्राणी सन्तुष्ट हो जाते हैं, तब वही वाणी बोलनी चाहिए। मीठे वचन बोलने से कोई दरिद्रता नहीं आती।
।। ओऽम् श्री महावीराय नमः ।।
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धन्यवाद।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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