धैर्य, ईमानदारी और सच्ची सफलता

 धैर्य, ईमानदारी और सच्ची सफलता 


आज के युवाओं में धैर्य की कमी स्पष्ट रूप से नजर आती है। हर कोई सफलता की दौड़ में तेजी से आगे बढ़ना चाहता है और इस हड़बड़ी में कई बार ईमानदारी की राह छूट जाती है। कुछ लोग तो शॉर्टकट अपनाकर, बेईमानी के सहारे रातों-रात कामयाबी पाने की कोशिश करते हैं, लेकिन यह भी सच्चाई है कि ऐसे कई युवा, करोड़पति बनने के चक्कर में रोडपति बन गए हैं।

यह महत्वपूर्ण है कि हम यह समझें, नौकरी या व्यवसाय में ऊँचाई पर पहुंचने वाला हर व्यक्ति आपसे अधिक योग्य हो, यह जरूरी नहीं है। इसलिए दूसरों की प्रगति देखकर निराश होने के बजाय, खुद पर भरोसा रखें। ईमानदारी, जिम्मेदारी, वफादारी और साहस के साथ अपने काम में जुटे रहें। सफलता एक दिन जरूर आपके कदम चूमेगी।

 आओ कहानी सुने -

एक समय की बात है। एक बड़े साम्राज्य के राजा ने अपने चार बेटों में से एक को उत्तराधिकारी बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने बेटों की एक परीक्षा लेने की सोची। राजा ने सभी बेटों को बुलाकर कहा, “मैं चाहता हूँ कि तुममें से किसी एक को उत्तराधिकारी बनाऊँ। इसके लिए मैं तुम सबको एक काम दूँगा, जो इसे सबसे अच्छे तरीके से पूरा करेगा, वही नया राजा बनेगा।“

राजा ने सभी बेटों को एक-एक बीज दिया और कहा, “इस बीज को लेकर जंगल में जाओ और इसे एक गमले में रोप कर उसकी देखभाल करो। छह महीने बाद मैं तुमसे मिलूँगा, जिसका पौधा सबसे बड़ा और सुंदर होगा, वही राज्य का नया राजा बनेगा।“

राजा के सबसे छोटे बेटे नकुल ने भी इस परीक्षा को बहुत ध्यान से सुना और बीज लेकर जंगल की ओर चल पड़ा। उसने अपने बीज को गमले में रोप दिया, नियमित रूप से पानी और खाद दी, लेकिन कुछ समय बाद पौधा सूख गया। दूसरी ओर, राजा के अन्य बेटों ने भी बीज को रोप कर उसकी देखभाल की और उनके गमलों में सुंदर और हरे-भरे पौधे लहलहाने लगे।

छह महीने बाद, सभी बेटे राजा के दरबार में जमा हुए। जहाँ एक ओर सभी बेटों के गमलों में सुंदर पौधे खड़े थे, वहीं नकुल का गमला खाली था। दरबारी और अन्यलोग नकुल का मजाक उड़ाने लगे, जबकि अन्य पौधों की तारीफ की जा रही थी।

राजा ने सभी गमलों का निरीक्षण किया और मुस्कुराया। नकुल ने अपने खाली गमले को छिपाने का प्रयास किया, लेकिन राजा ने उसे सामने लाने को कहा। फिर राजा ने घोषणा की, “आज से इस राज्य के नए राजा नकुल होंगे।“

राजा की इस घोषणा से सभी स्तब्ध रह गए। उन्होंने कहा, “मैंने परीक्षा के तौर पर सभी को बंजर बीज दिए थे, जिनमें से कोई भी अंकुरित नहीं हो सकता था। 

लेकिन मेरे अन्य बेटों ने क्या किया? मुझे धोखा देने के लिए बीज बदल दिए और नए पौधे उगा लिए।

लेकिन एक तरफ नकुल को देखें। उसने ऐसा नहीं किया। वह चाहता तो वह भी बीज बदल सकता था और एक सुंदर पौधा प्रस्तुत कर सकता था, लेकिन वह ईमानदारी के साथ, जो मिला था, उसे सच्चाई से प्रस्तुत करने आया है। यही वह गुण है, जो एक सच्चे राजा में होना चाहिए - ईमानदारी, सत्यता और साहस ।“

इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि सच्ची सफलता किसी धोखे या छल से नहीं मिलती, बल्कि ईमानदारी, धैर्य और सच्चाई के मार्ग पर चलने से ही मिलती है। अपने जीवन में कठिनाइयों और असफलताओं से निराश होने की बजाय, हमें अपने काम में सच्चाई और मेहनत से लगे रहना चाहिए। एक दिन सफलता अवश्य आपके कदम चूमेगी।

।। ओऽम् श्री महावीराय नमः ।।

विनम्र निवेदन

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धन्यवाद।

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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